पीसीओडी और पीसीओएस: कारण, लक्षण, अंतर और उपचार


पीसीओडी और पीसीओएस एक रोग है, जो सामान्यत: महिलाओं में पाया जाता है और यह दोनों रोग महिला के अंडाशय को प्रभावित करती है। महिलाओं में इस तरह के रोग का होना बहुत ही सामान्य बात है, भारत में करीब 20% महिलाएं इससे ग्रसित है, और इसी आंकड़े को संख्या में बताएं तो हर 5 में 1 महिला इस रोग का शिकार है। पीसीओडी या पीसीओएस दोनों ही गर्भावस्था के लिए गलत है, इसके रहते हुए प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर पाना लगभग नामुमकिन होता है। ऐसी स्थिति में अगर आप संपूर्ण परिवार चाहते हैं तो आईवीएफ इलाज आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प है, दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर(Best IVF Center in Delhi) में आप इलाज करवा सकते हैं।

पीसीओडी और पीसीओएस महिला के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, जो महिला में इनफर्टिलिटी को बढ़ावा देता है। हालांकि इसका कोई उचित प्रमाण तो नहीं है, और इस बात को लेकर शोध किया जा रहा है। दुनियाभर की 10% महिलाएं पीसीओडी से ग्रसित है। पीसीओएस से ग्रसित महिलाएं पीसीओडी वाली से सामान्य से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन का उत्पादन करती हैं। इस असंतुलित हार्मोन की वजह से महिलाओं में मासिक धर्म नहीं आता है जिसके कारण गर्भधारण कर पाना कठिन हो जाता है।

लेकिन सबसे अचंभीत करने वाली बात यह है कि इस देश के ज्यादातर महिलाओं को इस रोग के बारे में पता भी नहीं, और नाही इन महिलाओं को इस रोग के लक्षण के बारे में पता है। इस तरह के रोग अगर ज्यादा समय तक पलते रह जाएं तो जीवनभर के लिए समस्या का विषय बन जायेगी। इस आर्टिकल में हम जानेंगे: पीसीओडी और पीसीओएस के कारण, लक्षण, अंतर और उपचार।

अगर आप बच्चा पैदा करने के लिए आईवीएफ उपचार कराना चाहते हैं, तो दिल्ली में आईवीएफ लागत (Cost of IVF in Delhi) आपके लिए किफायती होगा।

पीसीओडी क्या है?(What is PCOD)

पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज एक तरह की मेडिकल कंडीशन है, जो अंडाशय को सिर्फ प्रभावित ही नहीं करती है, बल्कि इस तरह के मेडिकल कंडीशन की वजह से महिला में ओवेरियन अल्सर का डर रहता है। इस रोग के दौरान महिला के अंडाशय बड़ी मात्रा में अपरिपक्व या फिर कुछ हद तक परिपक्व अंडे का उत्पादन करते हैं। इस चक्र की वजह से महिला के अंडाशय में अल्सर हो जाता है, इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए उचित आहार, अनुशासित जीवन काफी है।

पीसीओएस क्या है?(What is PCOS)

पीसीओएस एक हार्मोनल स्थिति है, जो सीधे तौर पर महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद महिलाओं में बांझपन की शिकायत देखने के लिए मिलती है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई महिला एक बार पीसीओएस से ग्रसित होती है तो वो मां नहीं बन सकती है। हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। लेकिन आईवीएफ के मदद से ऐसी स्थिति में भी संतानप्राप्ती मुमकिन है.... बस इलाज के दौरान उनको विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। 

पीसीओडी और पीसीओएस के कारण(Reason of PCOD & PCOS)

पीसीओडी और पीसीओएस किस कारण से होती है इसका कोई स्पष्ट कारण कहीं पर भी बताया नहीं गया है। विशेषज्ञों की माने तो इस तरह के रोग अनुवांशिक होते हैं, जो परिवार में एक-दूसरे में आगे बढ़ता रहता है या फिर ये रोग पर्यावरणीय हो सकता है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि इस तरह की समस्या कुछ मुल वजहों से होती है, जो निम्नलिखीत है:

  • प्रदुषण

  • अनुशासनहीन जीवनशैली

  • फास्ट फुड का सेवन करना, और

  • हार्मोन बदलने वाली दवा

इसके अलावा भी कुछ मुख्य कारक हैं महिला में पाए जाने वाले जो पीसीओडी और पीसीओएस के कारण बनते हैं:

  • अतिरिक्त इंसुलिन उत्पादन(Excess insulin production): महिला के शरीर में इंसुलिन स्तर के बढ़ने से एण्ड्रोजन का उत्पादन बढ़ जाता है। एण्ड्रोजन एक पुरूष हार्मोन जो महिलाओं में पाया जाता है, और इसके बढ़ जाने से ओवुलेशन में दिक्कत होती है।  

  • अतिरिक्त एण्ड्रोजन उत्पादन(Excess androgen production): अधिक एण्ड्रोजन के उत्पादन से शरीर में बदलाव दिखने लगते हैं, जो गर्भावस्था के लिए समस्या का विषय बन सकती है।  

  • निम्न-श्रेणी की सूजन(Low-grade inflammation): निम्न-श्रेणी की सूजन को लेकर किए गए अध्ययन में पता चलता है कि पीसीओएस से ग्रसीत होने के बाद महिलाओं में निम्न-श्रेणी की सूजन की शिकायत होती है, जो एण्ड्रोजन उत्पादन के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

पीसीओडी और पीसीओएस के सामान्य लक्षण क्या हैं?(What are the common symptoms of PCOD and PCOS?)

इसके लक्षण का पता चलने में समय लग जाता है, क्योंकि इसके लक्षण सबसे सामान्य लक्षण होते हैं जो आप प्रतिदिन महसूस करते होगें। जैसे कुछ महिलाओं को इस रोग के बारे में मासिक धर्म के अनियमित होने या फिर रूकने के बाद पता चलता है। जबकी कुछ महिलाओं को इस रोग के बारे में वजन बढ़ने और गर्भधारण न कर पाने की वजह से पता चलता है। इसलिए इस रोग के लक्षण भी बिल्कुल ही सामान्य है, और सभी लक्षण निम्नलिखीत है:

  • मुंहासे

  • वजन का बढ़ना

  • बालों का झड़ना 

  • शरीर में बाल अत्यधिक बढ़ना

  • अनियमित मासिक धर्म (ओलिगोमेनोरिया)

  • मासिक धर्म का रुक जाना या न आना (एमेनोरिया)

  • भारी मासिक धर्म रक्तस्राव का ज्यादा होना (मेनोरेजिया)

  • त्वचा का काला पड़ना (गर्दन, कमर में और स्तनों के नीचे)

पीसीओडी और पीसीओएस के बीच अंतर(Difference between PCOD & PCOS)  

पीसीओडी और पीसीओएस के बीच काफी अंतर है, पीसीओडी जहां आपको ओवेरियन अल्सर के जिम्मेदार माना जाता है, वहीं पीसीओएस एक हार्मोनल असंतुलन जिसके वजह से महिलाओं में बांझपन की शिकायत होती है। इसके अलावा इनमें कुछ कॉमन भी है, जैसे – प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं, गर्भधारण कर पाना मुश्किल होता है और दोनों ही हमें रोगी बनाते हैं। 

हालांकि, इस तरह की बीमारी जो महिलाओं में कॉमन है, अगर उसके बारे में महिलाओं को पता न हो तो उन्हें कभी समझ में नहीं आएगा कि वो पीसीओडी से ग्रसित है या फिर पीसीओएस से। अंतर निम्नलिखीत हैं

पीसीओडी(PCOD)

पीसीओएस(PCOS)

पीसीओडी से ग्रसित होने के बाद, अंडाशय बड़ी मात्रा में अपरिपक्व या फिर थोड़ा परिपक्व अंडे का उत्पादन करता है, और इससे अल्सर होता है।

पीसीओएस में अंडाशय से एण्ड्रोजन(पुरूष हार्मोन) उत्पादन करता है, और इसके वजह से भी ओवेरी में सिस्ट का निर्माण होता है।

पीसीओडी महिला प्रजनन को प्रभावित नहीं करता है, लगभग 80% मामलों में, महिलाएं थोड़ी अनुशासित रहकर और दवाओं से गर्भधारण कर सकती हैं।

पीसीओएस महिला को बांझपन की तरफ धेकलता है, इससे ग्रसित महिला को गर्भधारण के लिए एहतियात के साथ आईवीएफ की मदद लेनी पड़ेगी।

पीसीओडी से कोई गंभीर समस्या नहीं होती हैं।

पीसीओएस से ग्रसित होने के बाद हृदय रोग, उच्च बीपी और एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी गंभीर समस्या हो जाती हैं।

 

पीसीओडी और पीसीओएस के उपचार(Treatment of PCOD & PCOS)

आमतौर पर इस तरह के रोग को शुरुआत में पता चल जाने पर सावधानी बरतने और पौष्टीक आहार के सेवन से चीजों को संतुलित किया जा सकता है। लेकिन अगर आपको इस रोग के बारे में पता नहीं चला और काफी समय निकल गया है तो ऐसे में दिक्कत हो सकती है। पीसीओडी और पीसीओएस रोग को पहचानने के लिए इसके लक्षण पर गौर करेंगे तो आपको पता चल जाएगा। ऐसे मामलों में आपको सबसे पहले रक्त जांच, प्रजनन अंगो की शारीरीक जांच और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवायें। परीक्षण के बाद अगर आपको पता चलता है कि आप रोग से ग्रसित हैं तो किसी अनुभवी डॉक्टर से मिलें। अगर आप पीसीओडी और पीसीओएस रोग का इलाज करवाना चाहते हैं तो दिल्ली में आईवीएफ लागत आपके लिए काफियाती साबित होगा। 

निष्कर्ष(Conclusion)

पीसीओडी और पीसीओएस एक ऐसी बीमारी है, जो महिला के अंडाशय को प्रभावित करता है, और बांझपन की तरफ धकेलता है। पीसीओडी से ग्रसीत होने के बाद आवेरियन अल्सर का डर रहता है, जबकी पीसीओएस से हार्मोनल संतुलन खराब होता है। दोनों ही बीमारी में कुछ सामान्य लक्षण पायें जाते हैं, जैसे में – वजन का बढ़ना, असमय मासिक धर्म और जरूरत से ज्यादा बालों का झड़ना। पीसीओडी को उचित आहार, अनुशासित जीवन से नियंत्रित कर सकते हैं, जबकी पीसीओएस में गर्भधारण के लिए आईवीएफ की मदद लेनी पड़ेगी। 

शुरूआती दौर में रोग को पहचान लेना और उस अनुसार इलाज कराना, आपके लिए चीजों को काफी हद तक व्यवस्थित कर देगा। अगर आपको लगता है कि आप पीसीओडी और पीसीओएस से ग्रसीत हैं तो आपके किसी अच्छे और अनुभवी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर(Best IVF Center in Delhi) में सबसे अनुभवी डॉक्टर मिलेंगे।

पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) 

प्र.1. क्या पीसीओडी और पीसीओएस के रहते हुए गर्भधारण नहीं कर सकते है?

उत्तर- नहीं, ऐसा नहीं है। आप गर्भधारण कर सकती है लेकिन आपको कई बातों का ध्यान देना होगा।

प्र.2. क्या पीसीओएस से ग्रसित होने पर आईवीएफ इलाज से गर्भवती हो सकते हैं?

उत्तर- हां, आप गर्भवती हो सकती है लेकिन इसके लिए कुछ शर्त लागू होते हैं।      

प्र.3. क्या पीसीओडी और पीसीओएस दोनों एक ही हैं?

उत्तर- नहीं, पीसीओडी और पीसीओएस अलग-अलग रोग हैं। लेकिन दोनों प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं और दोनों रोग शरीर के एक हिस्से पर होते हैं।

प्र.4. पीसीओडी और पीसीओएस के कुछ कॉमन लक्षण क्या है?

उत्तर- कुछ कॉमन लक्षण:

  1. मुंहासे

  2. वजन का बढ़ना

  3. शरीर में बाल अत्यधिक बढ़ना

  4. अनियमित मासिक धर्म

प्र.5. क्या तनाव में रहने से पीसीओडी होती है? 

उत्तर- इस मामले में कुछ सबुतों का मानना है कि तनाव में रहने से पीसीओडी और पीसीओएस दोनों के होने डर रहता है। 


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