आप स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट को आसान तरीके से कैसे पढ़ सकते हैं?

 


एक कपल में बांझपन की समस्या किसी एक की कमी से होती है, और इस तरह की दिक्कत पुरूषों में कॉमन है। इस मॉर्डन दुनिया में इंसान अपनी जगह बनाते-बनाते स्वास्थ्य को भुल जाता है। इसका असर आपके वैवाहिक जीवन पर पड़ता है, जब आपके परिवार पूरा करने का सपना बांझपन की वजह से अधुरा रह जाता है। अगर महिला पार्टनर के गर्भधारण करने में समस्या आ रही है या फिर गर्भधारण किसी वजह से प्रभावित होना पुरूष बांझपन कहलाता है। हालांकि, बांझपन की समस्या का पता लगाने के लिए पुरूष पार्टनर की स्पर्म परीक्षण किया जाता है। अगर आप भी शुक्राणु संबंधी समस्या को लेकर बांझपन की समस्या से ग्रसीत हैं तो दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र(Best IVF center in Delhi) में इलाज करवा सकते हैं।

स्पर्म परीक्षण में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि शुक्राणु संख्या, गुणवत्ता और स्वास्थ्य कैसा है, शुक्राणु में इनमें किसी की भी कमी बांझपन की समस्या बनती है। ऐसी स्थिति में आप शुक्राणु विशेषज्ञ से मिलतें है और शुक्राणु समस्या को लेकर समाधान ढुंढते हैं। पुरूष बांझपन की समस्या से उभरने के लिए आपको खुद पर ध्यान देना होगा, अनुशासित जीवन के साथ-साथ आपको पौष्टीक आहार का सेवन आपके लिए जरूरी है।

स्पर्म परीक्षण की रिपोर्ट देखने के बाद लोगों के अंदर जिज्ञासा होती है कि रिपोर्ट में लिखी चीजों को जानें, लेकिन रिपोर्ट में हरेक चीज मेडिकल टर्म में लिखी होती हैं। स्पर्म रिपोर्ट को आम जनता और मरीज के लिए पढ़ पाना आसान नहीं होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आप स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट को आसान तरीके से कैसे पढ़ सकते हैं?

स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट को सामान्य या आसान रूप से पढ़ने का कोई तरीका है। इस बात को जानने के लिए हमें स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट पर नजर डालना होगा। रिपोर्ट में उल्लेखित कुछ शब्दों पर नजर डालते हैं, जिसको जानने के बाद आपके लिए स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट को पढ़ पाना आसान होगा।

वीर्य स्खलन की मात्रा(Semen Ejaculate Volume) - आमतौर पर एक पुरूष स्खलन के दौरान 2 से 5 मिलीलीटर वीर्य का उत्पादन करता है। यदि स्खलन के दौरान वीर्य की मात्रा कम हो या फिर अनुपस्थित हो तो बांझपन की समस्या का कारण हो सकता है। एक पुरूष स्खलन के दौरान वीर्य की मात्रा कम होने की वजह निम्नलिखित हैः

  • असफल उत्सर्जन (स्खलन करने में असमर्थता)

  • अपूर्ण संग्रह (वीर्य का आंशिक संग्रह)

  • शुक्राणु ले जाने वाली नलिका की समस्या या अनुपस्थिति।

  • लघु संयम अंतराल (बहुत बार संभोग में संलग्न होना।)

स्पर्म काउंट(Sperm Count) - स्खलन के दौरान 2 से 5 मिलीलीटर वीर्य का उत्पादन होता है और इसमें मौजूद शुक्राणु, शुक्राणुओं की कुल संख्या को इंगित करती है। कुल शुक्राणु संख्या की सामान्य तौर पर 15 से 200 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर होती है। शुक्राणु संख्या के मदद से शुक्राणु उत्पादन और सफल निषेचन की संभावना का आकलन करने में मदद करता है। किसी भी महिला की गर्भधारण के लिए स्पर्म काउंट या नंबर का सही मात्रा में होना जरूरी होता है, वर्ना इसकी कमी से आपको बांझपन की समस्या झेलना पड़ सकता है।  

शुक्राणु एकाग्रता(Sperm Concentration) - स्खलन के दौरान उत्पादित वीर्य में मौजूद शुक्राणु के घनत्व ही शुक्राणु एकाग्रता को दर्शाते हैं, और पुरूष प्रजनन क्षमता में इसका मूल्यांकन में अहम भुमिका निभाता है। प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या को मापना ही शुक्राणु सघनता कहलाता है। कुल शुक्राणु संख्या और शुक्राणु सांद्रता सामान्य तौर पर 15 से 200 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर होती है। यदि वीर्य में शुक्राणु काउंट कम होती है तो इसे ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं, और अगर वीर्य में शुक्राणु मौजूद ही नहीं है तो एज़ोस्पर्मिया कहते हैं।   

शुक्राणु गतिशीलता की सामान्य सीमा(Normal Range of Sperm Motility) - शुक्राणु गतिशीतलता से मतलब है कि शुक्राणु कितनी प्रभावी रूप से अपना काम करने में सक्षम है। चलिए आपको सरल भाषा में समझाते हैं, संभोग के बाद शुक्राणु को महिला प्रजनन रास्ते से होते हुए अंडे को निषेचित करने के लिए रास्ता ढूंढने में सक्षम होना चाहिए। प्रजनन रास्ते से होते हुए अंडे को निषेचित करने की प्रक्रिया ही सही शुक्राणु गतिशीतला की पहचान है। अगर यह पता करना है कि कोई पुरूष कितना फर्टाइल(संतान पैदा करने में सक्षम) तो स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट में शुक्राणु गतिशीलता पर ध्यान देने की जरूरत है।     

कम से कम 40 से 50% शुक्राणु जो आगे की ओर गति प्रदर्शित करते हैं, शुक्राणु गतिशीलता की एक बुनियादी सीमा के तौर पर परिभाषित किया जाता है। इस आगे की प्रवृति को 0 से 4 के पैमाने पर विभाजीत किया गया है, और उच्च ग्रेड स्तर के होने का मतलब है बेहतर गतिशीलता।

वीर्य का सामान्य पीएच(Normal pH Of Semen) - स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट में पीएच स्तर पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि रिपोर्ट में इसका मूल्यांकन कई बातों को साफ करती है। सामान्य तौर पर वीर्य का पीएच स्तर 7.2 से लकेर 8.0 के बीच होता है। महिला प्रजनन के रास्ते में शुक्राणु के जीवित रहने और अपना कार्य पूरा करने के लिए वीर्य के उचित पीएच स्तर का होना जरूरी है। अगर रिपोर्ट में पीएच स्तर अपने सामान्य से कम है तो आपके लिए चिंता का विषय है। पीएच स्तर के कम होने से शुक्राणु स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।

अगर आप बच्चा पैदा करने के लिए आईवीएफ उपचार कराना चाहते हैं, तो दिल्ली में आईवीएफ लागत (Cost of IVF in Delhi) आपके लिए किफायती होगा।

शुक्राणु जीवन शक्ति(Sperm Vitality) - शुक्राणु जीवन शक्ति से मतलब है स्खलन के दौरान जीवित शुक्राणु की संख्या से, जो की आमतौर पर 58% से ज्यादा होती है। शुक्राणु जीवन शक्ति यानी एक शुक्राणु जो महिला प्रजनन रास्ते होते हुए अंडे को निषेचित करने तक जीवित रहना। एक महिला के गर्भाधान के लिए जीवित शुक्राणु को पहूंचाना जरूरी है।    

निष्कर्ष

स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट समझना आपके लिए आसान हो सकता है अगर आपको पता हो कि रिपोर्ट में ध्यान किन चीजों पर करना है। रिपोर्ट में ध्यान देने लायक कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं, वीर्य स्खलन की मात्रा, शुक्राणु संख्या, शुक्राणु एकाग्रता, शुक्राणु गतिशीलता, पीएच स्तर और शुक्राणु जीवन शक्ति। ये कारक शुक्राणु स्वास्थ्य को लेकर पुरूष प्रजनन क्षमता और संभावित मुद्दे में मददगार साबित हो सकते हैं। रिपोर्ट को पूरी तरह से समझने और उचित इलाज विकल्प जानने के लिए जरूरी हो जाता है कि आप किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें।

अगर आप भी शुक्राणु संबंधी समस्या को लेकर बांझपन की समस्या से ग्रसीत हैं तो दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र(Best IVF center in Delhi) में इलाज करवा सकते हैं।

पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) 

प्र.1. क्या स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट गलत हो सकती है?

उत्तर- आमतौर पर स्पर्म एनालिसिस रिपोर्ट गलत नहीं हो सकती। शुक्राणु परीक्षण के रिपोर्ट में आपको वही सब मिलेगा जो आपके स्पर्म सैंपल से पता चलता है। सैंपल को हर उस तरीके से जांच किया जा सकता है जिससे आपके स्पर्म से जुड़ी जानकारी मिल सकती है। ऐसे में अगर आपका रिजल्ट आपकी उम्मीद से अलग होता है या फिर सामान्य सीमा से उलट होता है, तो डॉक्टर आपसे सवाल पूछ सकता है।  

प्र.2. स्पर्म काउंट रिजल्ट कैसे पढ़ें?

उत्तर- स्पर्म काउंट का रिजल्ट आप बुनिययादी जरूरत पूरी होने या न होने पर निर्भर करता है। अगर प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन शुक्राणु या प्रति स्खलन 39 मिलियन शुक्राणु से कम होता है तो यह आपके लिए परेशानी का सबब है। और स्पर्म काउंट कम होने का मतलब है, प्रजनन क्षमता पर असर पड़ना।   

प्र.3. नॉर्मल स्पर्म रिपोर्ट क्या है?

उत्तर- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अगर पुरूष के वीर्य में 15 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर है तो यह एक नॉर्मल स्पर्म रिपोर्ट है। यदि पुरूषों के प्रति मिलीलीटर सीमेन में शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन से कम है या स्खलन के दौरान कुल शुक्राणुओं की संख्या 39 मिलियन से कम हो तो ये पुरूष निःसंतानता का संकेत है।

प्र.4. मैं कैसे जांच करूं कि मेरा शुक्राणु स्वस्थ है या नहीं?

उत्तर- शुक्राणु स्वास्थ्य का आकलन 3 चीजों को मापकर किया जाता है: आपके शुक्राणुओं की संख्या, आपके शुक्राणु कैसे चलते हैं और उनका आकार। यदि आप धूम्रपान और शराब को सेवन करते हैं तो आपको समझने की जरूरत है कि ये सीधा आपके शुक्राणु स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।   


प्र.5. स्पर्म टेस्ट कितने का होता है?

उत्तर- सामान्य तौर पर शुक्राणुओं का परिक्षण या सीमेन टेस्ट में 800 से 1000 रूपए का खर्च आता है। यदि निःसंतान पुरुष या मरीज शुक्राणु की आनुवंशिक क्षमता (डीएफआई टेस्ट) और शुक्राणु जीवित है या नहीं (एचओएस टेस्ट) का परिक्षण करवाना चाहते है तो खर्च अधिक हो सकता है। 


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