तीसरे दिन और पांचवें दिन के भ्रूण स्थानांतरण के बीच अंतर
अगर एआरटी को रियासत के तौर पर रखें तो आईवीएफ उसका एक अहम राज्य है, और इस राज्य का सबसे प्रभावी संचालन है भ्रूण स्थानांतरण। कहने का मतलब है कि एआरटी में सबसे सफल बांझपन इलाज आईवीएफ रहा है और आईवीएफ इलाज में भ्रूण स्थानांतरण सबसे अहम कदम होता है। भ्रूण स्थानांतरण का उद्देश्य होता है कि गर्भधारण करने में मददगार साबित हो, और इसी उद्देश्य के साथ भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। अगर आप भी इनफर्टिलिटी की समस्या से जुझ रहे हैं तो आप दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi) में इसका इलाज करवा सकते हैं।
जब भ्रूण स्थानांतरण के लिए तैयार हो जाता है तो उसके बाद भ्रूण को स्थानांतरित कर दिया जाता है। और एक बार भ्रूण स्थानांतरण होने के बाद एक मरीज के तौर पर आपका सबसे पहला सवाल होता है कि गर्भधारण सफल हो गया है इसका पता कब चलेगा। और डॉक्टर आपके सवाल के जवाब में कहता है कि 10 से 14 दिन तक में आपको गर्भधारण के बारे में पता चल जाएगा। लेकिन आपको यह समझना होगा कि भ्रूण स्थानांतरण के लिए भ्रूण विकास पर निर्भर करता है, और इसमें 3 दिन और 5 दिन पर स्थानांतरण को अहम माना जाता है।
हालांकि, लोगों में एक सवाल यह भी होता है कि 3 दिन और 5 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण में क्या फर्क होता है और इसका क्या फायदा है? खैर आपको यह समझने की जरूरत है कि प्रत्येक दृष्टिकोण के अपने फायदे और नुकसान है, और सफलता दर रोगी और डॉक्टर के अनुभवों पर निर्भर करता है। और क्योंकि भ्रूण स्थानांतरण आईवीएफ में एक अहम प्रक्रिया होती है। ऐसे में एक मरीज के तौर आप भी चाहते हैं कि भ्रूण स्थानांतरण की प्रक्रिया सही समय से की जाए ताकी आपको इलाज में सफलता मिले, और आप मातृत्व को प्राप्त कर सकें।
आईए जानते हैं तीसरे दिन और पांचवें दिन के भ्रूण स्थानांतरण के बीच अंतर। लेकिन उससे पहले हमें समझना होगा कि भ्रूण विकास चरणों को समझना होगा। शुक्राणु को अंडाणु को निषेचित करने के बाद लैब में तैयार करने के दौरान भ्रूण का विकास काफी अहम होता है।
भ्रूण विकास के चरण(Stages of Embryo Development)
इससे पहले आप इस बात में उलझे कि 3 दिन और 5 दिन वाला स्थानांतरण गेम क्या है और इसकी बारीकियों को जाने। हमारे लिए भ्रूण विकास को समझना ज्यादा जरूरी है, एक निषेचन की प्रक्रिया पूरा होने के बाद भ्रूण का विकास कई चरण में होता है। चरण निम्नलिखित हैः
निषेचन का दिन(Fertilization day) – जिसे आप जीरो दिन भी कह सकते हैं, इस दिन शुक्राणु और अंडो को निषेचित किया जाता है जिससे युग्मनज तैयार होता है। और यहां से भ्रूण विकास के चरण शुरु होती है।
विभाजन चरण(Segmentation phase) – यह चरण 1 से 3 दिन के दौरान, और इस चरण के अंतर्गत युग्मनज कई अलग-अलग हिस्सों में विभाजित होती है और एक बहुकोशिकीय भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है। युग्मनज के विभाजित होने की इस प्रक्रिया के वजह से इसे विभाजन चरण कहते हैं।
ब्लास्टोसिस्ट चरण(Blastocyst phase) – यह चरण आपको 4 से 5 दिन के दौरान देखने के लिए मिलेगा। इस दौरान भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट के रूप में विकसीत होता है जिसमें द्रव से भरी एक गुहा होती है, एक आंतरिक कोशिका द्रव्यमान और कोशिकाओं की एक बाहरी परत होती है। आंतरिक कोशिका द्रव्यमान भ्रूण का रूप लेता है और कोशिकाओं की एक बाहरी परत जो प्लैसेंटा कहलाती है वो भ्रूण का बाहरी सेल होता है।
जब भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है तो यह उम्मीद किया जाता है भ्रूण अपने बाहरी परत या सेल से बाहर निकलकर गर्भाशय की दीवार से प्रत्यारोपित हो जाएगा और गर्भधारण मुमकिन हो जाएगा। लेकिन भ्रूण ऐसा कर पाने में सफल नहीं होता है और इसे आईवीएफ असफल चक्र माना जाता है। अगर आप भी बांझपन की समस्या का इलाज कराना चाहते हैं तो दिल्ली में आईवीएफ लागत(IVF cost in Delhi) आपके लिए उचित रहेगा।
3 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण(Embryo transfer on day 3)
3 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण का मतलब है कि भ्रूण का विभाजन चरण के दौरान ही गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। जिस दौरान उनमें 6 से 8 कोशिका मौजूद होती हैं और अभी भी वक्त है भ्रूण बनने में क्योंकि भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट चरण दौरान बाहर निकलता है। लेकिन 3 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण से यह होता है कि पहले प्रत्योरापण की अनुमति देता है और साथ में ब्लास्टोसिस्ट चरण तक गर्भाशय के वातावरण में रखने की कोशिश होती है।
इस दौरान गर्भाशय का वातावरण युग्मनज को विकसीत होने में मदद करता है जिससे भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट चरण में पहुंच जाता है और फिर भ्रूण अपने सेल से निकलकर गर्भाशय की दीवार से खुद प्रत्यारोपित हो जाता है। इसके साथ ही अगर एक ही भ्रूण तैयार हुआ है तो डॉक्टर के लिए चयन प्रक्रिया आसान हो जाती है और भ्रूणविज्ञानी को उनकी तत्काल गुणवत्ता के आधार पर भ्रूण का आकलन करने की अनुमति मिलती है। हालांकि, 3 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण के एक डर यह भी होता है कि ऐसे मामलों में सफलता कम मिलती है और फिर भ्रूण के विकास के बारे में पता कर पाना मुश्किल होता है।
5 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण(Embryo transfer on day 5)
5 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण का मतलब है कि भ्रूण तैयार हो चुका है और ब्लास्टोसिस्ट चरण तक पहुंच गया है, और अब भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इस दौरान इसमें 70 से 100 कोशिकाएं मौजूद होती है, और इसमें दो तरह की कोशिकाएं मौजूद होती है। एक कोशिका जो भ्रूण की विकास के लिए जिम्मेदार होती है और दूसरा जो प्लेसेंटा के विकास के लिए जिम्मेदार होती हैं। इस वक्त पर भ्रूण स्थानांतरण करने से सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित होने की संभावना अधिक हो जाती है।
5 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण के अपने फायदे हैं और ब्लास्टोसिस्ट चरण के दौरान भ्रूण स्थानांतरण से अगर एक से अधिक भ्रूण होता है और सही भ्रूण का चुनाव भी आसान हो जाता है। इसके साथ ही अध्ययनों से पता चला है कि ब्लास्टोसिस्ट चरण के दौरान भ्रूण स्थानांतरण की सफलता दर भी ज्यादा है। और ऐसा करने से आपके पास विकल्प भी होता है कि आप भविष्य के लिए भी भ्रूण फ्रींजिंग करा सकते हैं। यह आपको आजादी देता है कि जब भी बच्चे के लिए तैयार हो तो आपको भ्रूण तैयार करने की प्रक्रिया में समय गंवाए बिना भ्रूण स्थानांतरण प्रक्रिया के लिए जा सकती है।
हालांकि, इसमें लेट से इम्पलांट होने का डर बना रहता है, कहने का मतलब है कि गर्भधारण के बारे में आपको देर से पता चलेगा या फिर भ्रूण अपने से बाहर नहीं निकल पाया तो गर्भधारण होगा ही नहीं।
निष्कर्ष(Conclusion)
आपको यह समझना होगा कि 3 दिन या 5 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण का अपना ही फायदा और अपना ही नुकसान, लेकिन एक मरीज के तौर पर आपके डॉक्टर को जो विकल्प आपके कंडीशन का सही रहेगा...वही किया जाएगा। भ्रूण स्थानांतरण से भी ज्यादा अहम हो जाता है, निषेचन के बाद भ्रूण का विकास जो चरण-दर-चरण विकसीत होता है। ऐसे में एक मरीज के तौर पर आपके लिए जरूरी हो जाता है कि भ्रूण स्थानांतरण सही समय से किया जाए, अंततः अगर सबसे ज्यादा कुछ मायने रखता है तो इलाज में सफलता पाना है। अगर आप भी इनफर्टिलिटी की समस्या से जुझ रहे हैं तो आप दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi) में इसका इलाज करवा सकते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1. क्या तीसरे दिन का भ्रूण स्थानांतरण पांचवें दिन से बेहतर है?
उत्तर – देखिए आपको समझना होगा कि दोनों भ्रूण स्थानांतरण कुछ कंडीशन पर तय किए जाते हैं और दोनों स्थानांतरण के अपने फायदे-नुकसान हैं। लेकिन अध्ययन की माने तो पांचवें दिन पर भ्रूण स्थानांतरण में सफलता की गुजांइश ज्यादा होती है।
प्र.2. तीसरे दिन पर भ्रूण स्थानांतरण से क्या होता है?
उत्तर- तीसरे दिन पर भ्रूण स्थानांतरण को विभाजन चरण के दौरान स्थानांतरण कह सकते हैं। क्योंकि निषेचन के बाद के 1 से 3 दिन के दौरान युग्मनज विबाजित होने लगता है, और इस वक्त स्थानांतरण के बाद ब्लास्टोसिस्ट चरण की प्रक्रिया गर्भाशय में ही होती है। ऐसा करने से माना जाता है कि भ्रूण को गर्भाशय का वातावरण मिलता है जिससे भ्रूण के लिए गर्भाशय की दीवार से प्रत्यारोपित होना आसान हो जाता है।
प्र.3. तीसरे दिन के भ्रूण की गुणवत्ता क्या है?
उत्तर- सही मायनो में कहा जाए तो इस दौरान भ्रूण पनप ही रहा होता है और इसके अंदर 6 से 8 कोशिकाएं मौजूद होती है।
प्र.4. किस दिन का भ्रूण अच्छा होता है?
उत्तर – आमतौर पर, ऐसा कहा जाता है कि इलाज में सफलता पाने के लिए 5 दिन पर भ्रूण स्थानांतरण सबसे उचित होता है और अध्ययन में भी पाया गया है कि इस दौरान भ्रूण स्थानांतरण की सफलता दर भी बेहतर है। तो आप पांचवें दिन भ्रूण स्थानांतरण का सबसे अच्छा मान सकते हैं।
प्र.5. क्या तीसरे दिन से लेकर 5वें दिन तक के सभी भ्रूण रह पाते हैं?
उत्तर – ब्लास्टोसिस्ट चरण तक भ्रूण के संवर्धन के लिए भी एक उत्कृष्ट संवर्धन प्रणाली की आवश्यकता होती है। इस अध्ययन में, तीसरे दिन के लगभग 73% क्लीवेज भ्रूण पांचवें दिन ब्लास्टोसिस्ट चरण में विकसित हो गए। 73% ब्लास्टोसिस्ट दर से, लगभग 34.3% ग्रेड ए और ग्रेड बी ब्लास्टोसिस्ट बन गए।
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